ratlam महाविद्यालय में गुरु पूर्णिमा उत्सव मनाया गया

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ratlam  किशन मालवीय

महाविद्यालय में गुरु पूर्णिमा उत्सव मनाया गया

ratlam प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस शासकीय कला एवं विज्ञान महाविद्यालय में 21.07.2024 को गुरु पूर्णिमा उत्सव का भव्य आयोजन किया गया।

इस आयोजन के प्रथम दिवस में मुख्य अतिथि सुश्री हांसी शिवानी थी। कार्यक्रम का प्रारंभ अतिथियों के द्वारा मां सरस्वती के छायाचित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवन कर किया गया। महाविद्यालय की छात्रा कु. वंदना एवं तालेबा खान द्वारा सरस्वती वंदना की प्रस्तुती दी गई। इसके पश्चात छात्रा कु. महक दसोंदी द्वारा गुरूजनों के सम्मान में गुरु वंदना एवं शास्त्रीय नृत्य की प्रस्तुती दी गई।

इस अवसर पर महाविद्यालय के द्वारा वरिष्ठ गुरूजनों का भी सम्मान की किया गया जिसमें विशेष रूप से डॉ. एस के जोशी, डॉ सरोज जोशी, डॉ बी एस शर्मा, डॉ पी सी पाटीदार, प्रो. पदमा भांभर एवं शकुन्तला जैन को शाल एवं श्रीफल देकर सम्मालित किया गया। इसके पश्चात प्रथम सत्र में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ वाय के मिश्र द्वारा संस्था के उत्तरोत्तर उन्नयन एवं विकास पर सारगर्भित उद्धबोधन दिया गया।

जहाँ कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में आमंत्रित अतिथि श्री कैलाश व्यास द्वारा भारतीय संस्कृतिक में गुरु-शिष्य में प्रगढ संबंधो की रेखांकित करते हुऐ प्राचीन भारतीय गुरु-शिष्य परंपरा को उल्लेखित किया गया। शिकागों सम्मेलन में स्वामी विवेकानंद जी के उद्धबोधन का उल्लेख किया गया।

वही प्रथम दिवस के अंतिम वक्ता के रूप में आमंत्रित (पूर्व छात्रा) विदूषी श्रीमती विनिता ओझा द्वारा वर्तमान परिदृश्य में शिक्षा मकें निहित नैतिक मूल्यों पर प्रकाश डालते हुए ‘‘नैतिक शिक्षा और वर्तमान शिक्षा प्रणाली’’ विषय पर अपना उद्धबोधन दिया गया। चरित्र निर्माए करने वाली नैतिक शिक्षा की प्रांसगिकता का उल्लेख किया गया।

पूर्व छात्र श्री शर्मा ने अपने विचार रखते हुए गुरु-शिष्य की बढती हुई दूरी को कम करने के वर्तमान समय की आवश्यकता पर जोर देते हुए नई शिक्षा निती के क्रियान्वयन पर जोर दिया गया।

कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में ‘‘गुरु पूर्णिमा का महत्वव, ऐतिहासिक और सांस्कृजिक प्रष्ठभूमि पर प्रसिद्ध साहित्यकार रतलाम गौरव संस्कृत विद विद्वान श्री मूरलीधर चांदनीवाला द्वारा अपना व्याख्यान दिया गया जिसमें आपने गुरु पूर्णिमा दिवस की प्रसंगगिकता एवं गुरु शब्द के महत्व को रेखांकित करते हुए अपने विचार रखे। आपने गुरु शब्द के इतिहास (1000 वर्ष पूर्व) पर भी बात रखते हुए सदगुरू एवं आचार्य शब्द तक के सफर को रेखांकित किया। गुरु (दिर्घ) शिष्य (लघु) पर प्रकाश डालते हुए कबिरदास, तुलसीदास, द्रोणचार्य, नचीकेता, कृष्ण-अर्जुन आदि के संस्मरणों एवं गुरु-शिष्य परंपरा पर उद्धबोधन दिया। मातृ, पितृ, आचार्य देवों भव। इस अवसर पर समस्त महाविद्यालयीन परिवार एवं बडी संख्या में शहर के गणमान्य नागरिक, विद्याथी। आदि उपस्थित रहें।

इस अवसर पर कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए महाविद्यालय जनभागीदारी समिति अध्यक्ष श्री विनोद करमचंदानी जी ने अपनी शुभकामनाऐं प्रषित की।
कार्यक्रम की संयोजक डॉ. इन्दू कटारिया रही। कार्यक्रम का संचालन डॉ ललिता मरमट के द्वारा किया गया।

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