RAJASTHAN इंदौर की लड़की पैदल 51 निशान लेकर आती खाटूश्यामजी

रास्ते में रूकती तो इत्र का छिड़काव करती, दोस्तों ने कहा था- क्यों कलयुग की मीरा बनना चाहती हो?
RAJASTHAN खाटूश्याम बाबा का जन्मोत्सव (पाटोत्सव) आज कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाएगा। देशभर से भक्त बाबा श्याम के दर्शन करने के लिए आएंगे। बाबा के प्रति भक्तों गहरी आस्था है। ऐसे में कई भक्त हर एकादशी और अन्य मौकों पर मंदिर आते हैं।
ऐसी ही एक भक्त इंदौर की रहने वाली पूजा हुलाले है। वे 51 निशान एक साथ उठाकर रींगस से खाटू पैदल आती है। उनके निशान का रंग भी मोर पंख के नीले रंग जैसा होता है। जिस पर वे इत्र का छिड़काव करती है। बाबा के जन्मोत्सव पर भी वे आई है। भास्कर से बातचीत में उन्होंने बताया कि वे कब और कैसे पहली बार खाटू आई थी। इसके बाद कैसे हर महीने आने का प्रण किया।

RAJASTHAN 6 साल से लगातार बाबा के दर्शन करने आ रही
पूजा हुलाले (30) ने बताया- वे मूल रूप से इंदौर के MR10 की रहने वाली है। वे खाटूश्याम सहित अन्य भगवान की तस्वीर को फ्रेम करने का काम करती है। पहली बार साल 2018 में दोस्तों के साथ खाटूश्यामजी आने का सिलसिला शुरू हुआ था। दोस्तों के साथ इंदौर से खाटू आए थे। उस दौरान रींगस से एक निशान लेकर दोस्तों के साथ पैदल खाटूधाम पहुंची थी। तब मैंने अपने दोस्तों से निशान उठाने की बात कही थी। इस पर दोस्तों ने टोका और कहा- ‘क्यों तुम भी कलयुग की मीरा बनना चाहती हो। ‘पूजा बताती है- तब दोस्तों की बात नहीं मानी और निशान उठाकर बाबा को चढ़ाए थे।
पूजा बताती है- इसके बाद से हर महीने खाटू आकर निशान चढ़ाने का प्रण लिया था। दोस्त या परिवार के लोग किसी कारण वश साथ न भी आए। तब भी वे अकेले आती है। वे बताती है- शाम 6 बजे के करीब रींगस से खाटू मंदिर से निशान उठाती है। इसके बाद रींगस से खाटू तक करीब 17 किलोमीटर पदयात्रा कर सुबह 4 से 5 के बीच खाटू पहुंच जाती है। यहां बाबा के दर्शन करने के बाद वह वापस इंदौर रवाना हो जाती है। हर महीने ये ही टाइम रहता है।
RAJASTHAN रास्ते में रूकने पर निशान पर इत्र का छिड़काव करती
पूजा बताती है- 2018 के बाद करीब सात से आठ महीने तक एक ही निशान खाटू लेकर आई थी। उसके बाद 7 से 8 महीने तक एक साथ 5 निशान लेकर खाटू आने लगी। धीरे-धीरे इनकी संख्या को बढ़ाया और 11, 21, 41 और अब 2 साल से 51 निशान लेकर खाटू दर्शन करने के लिए आने लगी।
पूजा बताती है- उनके निशान का कलर हमेशा मोर पंख के नीले कलर जैसा होता है। जब वे कहीं रूकती है तो वापस चलने के पहले निशान पर इत्र का छिड़काव करती है। खुद के शरीर पर पानी के छींटे मारती है।
राम मंदिर बनने की खुशी बाबा के साथ मनाई
https://www.facebook.com/chanakyanewsindialive
पूजा ने बताया- इस जनवरी में अयोध्या में राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा हुई थी। उन्होंने इसकी खुशी भी खाटू बाबा के साथ मनानी चाही। तब वे खाटू आई थी। उस दौरान का एक किस्सा पूजा बताते हुए कहती है- जनवरी के महीने में सर्दी काफी होती है। वे सर्द रात में अकेले 5 से 8 डिग्री तापमान के बीच निशान लेकर खाटू पहुंची थी।
उस दौरान रींगस से खाटू आने वाले मार्ग पर लोगों का आना-जाना न के बराबर था। रींगस से शाम को निशान लेकर रवाना हो गई थी लेकिन रास्ते में अंधेरा था। रास्ते में लोग भी काफी कम मिले थे। रास्ते में कुछ देर के लिए एक रेस्टोरेंट पर रूकी थी। तब वहां के संचालक ने उन्हें दस्ताने दिए थे।

बुजुर्ग ने कहा- तुम्हारा भाव ही तुझे यहां तक लेकर आया है
पूजा बताती है- फाल्गुन महीने की एकादशी की रात निशान लेकर रींगस से रवाना हुई थी। रास्ते में एक भंडारे पर रुकी थी। अपने 51 निशान भी वहां पर रखे थे। वहां एक बूढ़े आदमी ने सेवादार (भंडारा संचालक) से निशान लाने वाले के बारे में पूछा।
फिर वह सेवादार पूजा की तरफ आया और उस बूढ़े आदमी के पास लेकर गया। बूढ़े आदमी ने पूजा को आशीर्वाद देते हुए कहा- तुम्हारा भाव ही तुझे यहां तक लेकर आया है। पूजा समझ नहीं पाई कि यह बात वह बुजुर्ग उसे कह रहा है या भगवान की कोई लीला हैं।
RAJASTHAN खाटूश्यामजी की मूर्ति बनाने का काम शुरू किया
पूजा बताती है कि 2020 में कोरोना के दौरान जब खाटू आना नहीं हुआ तो खाटूश्याम बाबा की कृपा से उन्होंने तस्वीरों पर फ्रेमिंग का काम शुरू किया। वह खाटूश्याम सहित अन्य भगवान की मूर्ति तस्वीर बनाती है। एक तस्वीर को बनाने में काम से कम 15 दिन लग जाते हैं। पूजा ने इंदौर में 12वीं तक पढ़ने के बाद मुंबई यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया है। हिस्ट्री से BA की पढ़ाई पूरी होने के बाद इंदौर वापस आ गई थी। उनकी एक 7 साल की बेटी है।
[metaslider id="122"]