विदिशा स्वामी रत्नेश प्रपन्नाचार्य महाराज ने धर्म चर्चा के दौरान पत्रकारों से की चर्चा

विदिशा

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चाणक्य न्यूज़ इंडिया के लिए जिला विदिशा से ओमप्रकाश चौरसिया की रिपोर्ट……

जिस अमेरिकी युवक ने भारत में हिंदू मंदिर की सीढ़ियों पर बैठकर फेसबुक की कल्पना की थी

और दुनिया को यह बताया था कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए एक-दूसरे को जोड़ने का पह विचार उसे नीम करोली बाबा के यहां मंदिर में आया। उसी फेसबुक पर आज हिंदू धर्म के बालक सनातन धर्म को बदनाम कर रहे हैं। इससे बड़ी विडंबना क्या हो सकती है। यह बात अयोध्या धाम से आए जगद्‌गुरू रामानुजाचार्य स्वामी रत्नेश प्रपत्राचार्य महाराज ने धर्म चचर्चा के दौरान नौलखी बेतवा घाट पर पत्रकारों के प्रश्नों का जवाब देते हुए कही।

उन्होंने कहा कि राम का चरित्र ही राष्ट्र का चरित्र है। धर्म के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। भारत का एकमात्र सनातन धर्म है, जो विश्व बंधुत्व की भावना प्रकट करता है। दुनिया के लोग जब भी दिशाहीन होते हैं, तब भारत ही मार्गदर्शन करता है। भारत आज से नाहीं पुरातन काल से विश्व गुरु कहा गया है। काशी, अयोध्या की भांति मथुरा में भी अब देर नहीं है। भगवान कृष्ण की जन्म भूमि मथुरा में भी हम कन्हैया का भव्य और दिव्य मंदिर बनते देखेंगे।

युवा पीढ़ी में बढ़ती आत्महत्या के सवालों पर महाराज ने कहा कि हम सफलता के बड़े-बड़े मापदंड तय कर लेते हैं और जब वह पूरे नहीं होते तो तनाव में आ जाते हैं और आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं। यह उस भगवान के साथ न्याय नहीं है, जिसने आपको यह सुंदर शरीर दिया है। राम और कृष्ण से ज्यादा किसी ने जीवन में कष्ट नहीं झेला, यह उनकी जीवन यात्रा हमें सिखाती है। सनातन धर्म में आत्महत्या करना सबसे बड़ा पाप बताया गया। है। यदि आपके जीवन में कर्म प्रधानता के साथ-साथ अध्यात्म, संत, और सत्संग की प्रधानता रहेगी, तो आप समस्याओं में भी अपने जीवन यात्रा के उद्देश्य को हंसते मुस्कुराते हुए पूरा कर लेंगे।

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