GARIABAND जिले में मनाया गया धूम धाम से EID-UL-AJHA का पर्व 

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GARIABAND जिले में मनाया गया धूम धाम से ईद-उल अजहा का पर्व

किशन सिन्हा GARIABAND छत्तीसगढ़

GARIABAND – आज मुस्लिम समाज द्वारा बकरीद (EID-UL-AJHA) का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है।

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GARIABAND जिले में मनाया गया धूम धाम  से EID-UL-AJHA का पर्व 
GARIABAND जिले में मनाया गया धूम धाम से EID-UL-AJHA का पर्व 

बड़ी संख्या मे एकजुट होकर मुस्लिम समाज के लोगो ने सुबह ईदगाह में नमाज पढ़ी और प्रदेश के सुख, शांति और खुशहाली की दुआ मांगी। इसके बाद एक दूसरे को गले मिलकर EID की बधाई दी। इसके पहले सुबह से ईद को लेकर विशेष उत्साह देखने को मिला। बच्चे सहित बड़े भी नए नए पोशाकों में नजर आए।

 

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इस अवसर पर गरियाबंद नगर पालिका अध्यक्ष सह भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष एवम आल इंडिया मुस्लिम मेमन जमात के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अब्दुल गफ्फार मेमन ने देश और प्रदेशवासियों को ईद-उल-अजहा की बधाई देते हुए कहा कि ये पावन पर्व हमें एक न्यायपूर्ण, सौहार्दपूर्ण मधुर और समावेशी समाज के निर्माण के लिए प्रेरित करता है।

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उन्होंने बताया कि यह पर्व मुख्य रूप से हजरत इब्राहिम द्वारा अपने बेटे हजरत इस्माइल की कुर्बानी देने की इच्छा की याद में मनाया जाता है।

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इसके कारण से बकरीद को बलिदान का प्रतीक माना गया है। उन्होंने बताया कि आज गरियाबंद जिले में ईद-उल-अजहा का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। उत्साह के साथ लोगों ने एक दूसरे को गले मिलकर EID की बधाई दी गरियाबंद और प्रदेश की खुशहाली की कामना की।

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अयोध्या आ रहा देश का सबसे बड़ा धनुष

अयोध्या में देश का सबसे लंबा धनुष और बाण स्थापित होगा। धनुष की लंबाई 33 फीट और वजन 3400 किलो है। धनुष के साथ 3900 किलो का गदा भी लगेगी।

गदा और धनुष-बाण पंच धातु से बनाए गए हैं। इसे राजस्थान में सुमेरपुर के शिवगंज स्थित श्रीजी सनातन सेवा संस्थान ने बनवाया है।

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा- सूचना मिली है कि कुछ भक्त गदा और धनुष-बाण लेकर आ रहे हैं। पहले उसे कारसेवकपुरम में रखा जाएगा, फिर तय किया जाएगा कि इन्हें कहां स्थापित किया जाए।

राजस्थान से अयोध्या 5 पड़ाव में निकाली गई यात्रा
राजस्थान से अयोध्या के बीच पांच पड़ाव पार करते हुए यह कारवां अयोध्या पहुंच रहा है। इसमें पहला पड़ाव बर में, दूसरा जयपुर में, तीसरा आगरा में था। चौथा पड़ाव लखनऊ में, फिर पांचवां और आखिरी पड़ाव है अयोध्या। हर पड़ाव में कई प्रमुख राजनेताओं, साधु-संतों और आम लोग इस गदा और धनुष का स्वागत कर रहे हैं।

इस यात्रा को निकालने के लिए पिछले तीन महीने से तैयारी की जा रही थी। मार्च से कारीगरों से लेकर यात्रा निकालने वाले लोग इसमें लगे हुए थे।

यात्रा में साथ चलने वाले लोगों के लिए 105 एसी बसों का इंतजाम किया गया। राजस्थान से ही इन बसों में लोग धनुष-बाण और गदा के साथ अयोध्या पहुंच रहे हैं।

हाईटेंशन तार में फंसने से धनुष की लंबाई छोटी करनी पड़ी
सबसे पहले पाली में हाईवे पर 72 फीट बालाजी से कुछ आगे राम धनुष का रथ रोकना पड़ा था। वजह बनी हाईटेंशन लाइन। दरअसल, धनुष की लंबाई ज्यादा होने से वह हाईवे पर हाईटेंशन तार से टकरा रहा था। यात्रा को रोककर बिजली विभाग को सूचना दी गई।

हाईवे टीम मौके पर पहुंची और धनुष लिए रथ को सड़क के किनारे कराया। ताकि किसी हादसे से बचा जा सके। आगे बढ़ने से पहले रास्ते में ही धनुष की लंबाई कम की गई। धनुष को लेकर ट्रोला लखनऊ के करीब पहुंच गया है।

अब तक की जानकारी के अनुसार भीलवाड़ा में 17 फीट लंबा और 900 किलो वजनी धनुष स्थापित है। वहीं, देश की सबसे वजनी और लंबी गदा इंदौर के पितृ पर्वत पर स्थापित है। इसका वजन 21 टन और लंबाई 45 फीट है।

रामधनुष और गदा को तैयार करने में लगा ढाई महीने का वक्त
सुमेरपुर के कारीगर कैलाश सुथार धनुष-बाण और गदा के बारे में बताते हुए कहते हैं कि भगवान श्रीराम का धनुष और भगवान हनुमान की गदा बनाने का काम उनकी फर्म वास्तु आर्ट शिवगंज को मिला था।

उन्होंने और उनके साथी हितेश सोनी की देखरेख में 20 कारीगरों ने लगातार 75 दिन काम किया। कारीगरों ने कहा- यह उनके लिए गर्व की बात है। हर किसी को ऐसा सौभाग्य नहीं मिलता है। हमें मिला तो लग कर इसे पूरा किया।

धनुष-बाण और गदा बनाने के लिए राम भक्तों ने 35 से 40 लाख दान दिया
श्रीराम के धनुष-बाण और हनुमान की गदा भक्तों के दान दिए पैसों से बनी है। इसकी प्लानिंग से लेकर तैयार होने तक सब का जिम्मा श्रीराम भक्तों ने अपने कंधे पर लिया। 12 जून को यात्रा निकलने से पहले भी लोगों ने चर्चा की आगे की रुपरेखा को आकार दिया।

भक्तों ने ही इसके निर्माण के लिए आर्थिक सहयोग दिया है। इसमें करीब 35 से 40 लाख रुपए राशि इकट्ठा की गई। इसके आयोजक गोपालजी मंदिर के पुजारी रमेश पंडित, आयोजन के सूत्रधार रामलाल माली शिवगंज, कान्तिलाल माली अरठवाड़ा, कैलाश सिरोही शामिल रहे।

ये पहले अयोध्या में चार चांद लगा चुके हैं…

अयोध्या में है विश्व का सबसे बड़ा ताला और चाबी
अयोध्या में पहले ही अलीगढ़ से 400 किलो यानी 4 क्विंटल का ताला पहुंचाया जा चुका है। 10 फीट लंबे और 4 फीट चौड़े इस ताले की मोटाई 9.5 इंच है। 4 फीट लंबी इसकी चाबी 30 किलो की है। इस ताले को बनाने में करीब 2.5 लाख रुपए का खर्च आया था।

सारी उम्र ताला बनाकर गुजर बसर करने वाले सत्यप्रकाश की एक ही इच्छा थी कि श्रीराम मंदिर के उद्घाटन के समय वह मंदिर को ताला भेंट करें। लेकिन प्राण प्रतिष्ठा से 41 दिन पहले ही उनकी मौत हो गई थी।

 

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