जिला जेल में हुए परम पूज्य जैन संत उपाध्याय श्री 108 विरंजन सागर जी महामुनि राज के प्रवचन
टीकमगढ़ शहर के विराजमान बाजार जैन मंदिर मैं स्थित जैन संत परम पूज्य उपाध्याय 108 विरंजन सागर जी महामुनि राज के दोपहर 2:00 बजे से जिला जेल में प्रवचन का लाभ कैदियों सहित अनेक जनों को प्राप्त हुआ
अखिल भारतीय जैन जैन युवा फेडरेशन के पूर्व अध्यक्ष नरेंद्र जनता ने बताया कि जेल में महाराज श्री सत्संग को उच्च शासन पर बैठाया गया एवं मुख्य पहरी विवेक उपाध्याय ,अमित सिंह, ए के शुक्ला, मानसिंह साहित सभी स्टाफ ने जिनवाणी और श्रीफल भेंट किया
एवं जेल अधीक्षक प्रतीक जैन ने महाराज श्री का पादपच्छालन करके प्रवचन के लिए निवेदन किया
महाराज श्री ने कहा की जैल वह स्थान है जहां एक संत का जन्म हुआ वह है भगवान श्री कृष्ण जिनकी वाणी का हम गीता में श्रमण करते हैं
उन्होंने कहा कि पाप का अपराध हमारी स्वयं की कमियां से होता है हर माता-पिता का अरमान होते हैं कि हमारा बेटा नाम रोशन करेगा लेकिन एक छोटी सी गलती से जेल के अंदर आना पड़ता है महाराज श्री ने कहा की संगत अच्छी होनी चाहिए एक पानी भगवान के ऊपर जाता है तो वह गांधोदक बन जाता है और वही पानी नाली में डालो तो नाली का गंदा पानी बन जाता है
उन्होंने कहा की गुरु के चरण जहां पड़ जाते हैं वह तीर्थ बन जाया करता है संतो को देख लो तो भगवान नजर आते हैं आज भगवान स्वयं चलकर यहां आ गए हैं
इस मौके पर अनेक माताएं बहने व पुरुष उपस्थित रहे
कविन्द पटैरिया पत्रकार
जिला ब्यूरो टीकमगढ़ म प्र
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